समाधान भारत:- हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 31 को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि यह धारा केवल अधिनियम की धारा 18 के तहत दिए गए सुरक्षा आदेशों के उल्लंघन पर ही लागू होती है। कोर्ट ने कहा कि अन्य प्रकार के आदेश, जैसे निवास, भरण-पोषण या अन्य राहतों के उल्लंघन पर धारा 31 के तहत एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती। यह टिप्पणी उस मामले में की गई जिसमें ट्रायल कोर्ट ने पुलिस को घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 31 के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने उस एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि जब तक सुरक्षा आदेश का उल्लंघन न हो, तब तक इस धारा के तहत दंडात्मक कार्यवाही नहीं की जा सकती। यह फैसला घरेलू हिंसा अधिनियम की सही कानूनी व्याख्या की दृष्टि से एक अहम मील का पत्थर माना जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 31 को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यह धारा केवल सुरक्षा आदेश यानी प्रोटेक्शन ऑर्डर के उल्लंघन पर ही लागू होती है, जबकि अन्य प्रकार के आदेशों—जैसे निवास, भरण-पोषण या कस्टडी से संबंधित आदेशों—के उल्लंघन पर इस धारा के तहत दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती। यह फैसला न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की एकल पीठ ने एफआईआर रद्द करने की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। दरअसल, इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने पुलिस को घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 31 के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने के लिए एक आवेदन भेजा था। लेकिन हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 31 केवल अधिनियम की धारा 18 में उल्लिखित सुरक्षा आदेशों के उल्लंघन की स्थिति में ही लागू होती है। इसी आधार पर अदालत ने दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया। इस निर्णय को घरेलू हिंसा अधिनियम की सही कानूनी व्याख्या और इसके सीमित दायरे को रेखांकित करने वाला एक अहम फैसला माना जा रहा है।