समाधान भारत:- हिमाचल प्रदेश सरकार ने बाल शिक्षा और पोषण को सशक्त करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। प्रदेश के 18,925 आंगनबाड़ी केंद्रों को अब प्री-प्राइमरी स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की बजट घोषणा को अमलीजामा पहनाने के लिए प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस पहल के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों को नजदीकी सरकारी स्कूलों में रिलोकेट किया जाएगा, जहां 3 से 6 साल तक के बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ बेहतर देखभाल भी मिल सकेगी। इस योजना के तहत आंगनबाड़ी सह प्री-नर्सरी स्कूलों में बच्चों को पहले से अधिक पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाया जाएगा। खास बात यह है कि जिला स्तर पर ही पोषाहार की खरीद की शक्तियां दी जाएंगी, जिससे स्थानीय स्तर पर बच्चों की जरूरतों के अनुसार आहार को बेहतर बनाया जा सकेगा। यह पहल न सिर्फ प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत करने में मददगार होगी, बल्कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।
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हिमाचल प्रदेश में प्रारंभिक शिक्षा और बच्चों के पोषण को बेहतर बनाने की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश के 18,925 आंगनबाड़ी केंद्रों को अब प्री-प्राइमरी स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की बजट घोषणा के अनुसार, इन आंगनबाड़ी केंद्रों को नजदीकी सरकारी स्कूलों में रिलोकेट किया जाएगा, जहां वे आंगनबाड़ी सह प्री-नर्सरी स्कूलों के रूप में कार्य करेंगे। इन स्कूलों में 3 से 6 साल तक के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा के साथ-साथ बेहतर देखभाल भी प्रदान की जाएगी। बच्चों को मिलने वाला पोषाहार अब और अधिक पौष्टिक बनाया जाएगा, जिससे उनके स्वास्थ्य और विकास में सुधार हो सके। इसके साथ ही जिला स्तर पर पोषाहार की खरीद की शक्तियां स्थानीय अधिकारियों को दी जाएंगी, ताकि बच्चों की ज़रूरतों के अनुसार पोषण युक्त भोजन तैयार किया जा सके। यह पहल राज्य सरकार की ओर से बच्चों के समग्र विकास और गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।